श्री अरविंद घोष के शैक्षिक विचारों का अध्ययन

Authors

  • 1. श्वेता गौतम 2. डाॅ॰ सारिका ताखर 3. डाॅ॰ प्रवीण रस्तोगी

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i4.572

Keywords:

शिक्षा, पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धित, शिक्षक, विद्यार्थी

Abstract

अरविन्द घोष के शैक्षिक चिंतन में शैक्षिक अध्ययन किया जायेगा और जीवन के लक्ष्य का निर्धारण दर्शन करता है और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जीवन के विभिन्न पक्ष प्रयत्न करते है। शिक्षा भी सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक है जो उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति में मनुष्य का योगदान करती है। गाँधी जी के अनुसार जीवन का लक्ष्य तथा शिक्षा का लक्ष्य न भिन्न हो सकता है, न शिक्षा का लक्ष्य जीवन के लक्ष्य से न्यून ही हो सकता है। उदाहरणार्थ यदि जीवन का लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है, तो शिक्षा तथा जीवन के विविध पक्षों का लक्ष्य यही होना चाहिए। सभी मिलकर उक्त लक्ष्य की ओर मनुष्य को प्रेरित करते हैं। जीवन अखण्ड है और इस प्रकार विभिन्न दिशाओं से एक ही लक्ष्य की ओर बढने का प्रयत्न किया जाता है। जीवन के लक्ष्य से जीवन के मूल्यों का निर्धारण होता है। जिन मतों को हम वांछित मानते हैं जिनसे हमे आत्मिक तृप्ति मिलती है, उन्हें मूल्य की संज्ञा दी जाती है।

Published

2000

How to Cite

1. श्वेता गौतम 2. डाॅ॰ सारिका ताखर 3. डाॅ॰ प्रवीण रस्तोगी. (2025). श्री अरविंद घोष के शैक्षिक विचारों का अध्ययन. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(4), 973–984. https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i4.572

Issue

Section

Articles