प्राचीन भारतीय सिक्कों पर विदेशी प्रभाव: एक अध्ययन (200 ईसा पूर्व से 600 ई0 तक)

लेखक

  • पुष्पा देवी, डाॅ॰ शोभा मिश्रा

सार



प्राचीन इतिहास के निर्माण में सिक्को का अहम योगदान रहा है। सिक्को द्वारा प्राप्त जानकारी एकदम योगदान सटीक व प्रमाणिक मानी जाती है। सिक्को के माध्यम से प्राचीन भारत के कुछ राजवंशों व राजा के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। सिक्को की महता व असलियत को देखते हुए इन्हें प्राथमिक स्रोत की संज्ञा दी जाती है। सिक्को के अध्ययन को मुद्रा शास्त्र कहा जाता है यह एक वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित विषय है, जो सम्पूर्ण भौतिक स्त्रोतों पर ही आधारित है। खुदाई से प्राप्त सिक्को के अध्ययन के उपरान्त ही किसी निर्णय पर पहुँचा जाता है। अर्थात् यह अनुमान पर आधारित न होकर प्रमाणिक व भौतिक अवशेषांे पर आधारित है। भारत में सिक्को का प्रचलन वस्तुओं के क्रय-विक्रय को सुविधाजनक बनाने के लिए हुआ था। व्यापारिक श्रेणियों मंे सिक्को को अपनी पहचान बनाने के लिए टोकन के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। इसी आधार पर यह जनपदो, नगर और राज्यों ने अपने-अपने पहचान और नाम के सिक्के को चलाया।

प्रकाशित

2024-09-01

अंक

खंड

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