आधुनिक हिन्दी कथा साहित्य में नारी संचेतना

लेखक

  • डाॅ॰ हरि ओम फुलिया

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https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i2.153

सार

वर्तमान में नारी सशक्तिकरण के परिणाम देखने को मिला है । शिक्षित नारी अपने अधिकारों के प्रति जाग्रत है और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष भी कर रही है । नारी का जीवन हिंदी कथा साहित्य का भी घनिष्ट संबंध रहा है । आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक नारी साहित्य में केंद्र बिन्दु रही है । हिन्दी साहित्य ने अनेक विद्याओं को जन्म दिया जैसे जीवनी, रिपोर्ताज, रेखाचित्रा, आत्मकथा, संस्मरण आदि परंतु इन सभी विधाओं में कथा साहित्य का एक विशेष स्थान है । इसके अनेक कारण हैं सर्वप्रमुख कारण यह है कि इसमें मध्यम वर्ग की तत्कालीन स्थिति का चित्रण किया गया । ”साहित्य समाज का दर्पण है“ इस दर्पण को समाज के सामने रखने का कार्य किया तथा साहित्य ने किया । जहाँ अन्य विधायें हमें साहित्य के विषय में जानकारी देती हैं । वहीं कथा साहित्य हमें तत्कालीन समाज की जानकारी देता है ।

प्रकाशित

2024-08-01

अंक

खंड

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