भाषा और समाजिक संबंध
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https://doi.org/10.8224/journaloi.v72i2.136सार
भाषा केवल व्याकरणिक संरचना से बंधी नहीं होती । जब समाज में भाषा का व्यवहार होता है तो वह व्याकरणिक बंधनों को तोड़ती भी है। यह तो हम जानते ही हैं की भाषा का व्यवहार समाज में होता है और समाज अनेक स्तरों में बंटा होता है । इस सामाजिक स्तर भेद के कारण भाषा स्तर भेद निर्मित होता है। कारण स्पष्ट है, भाषा और समाज में अटूट संबंध होता है। भिन्न-भिन्न सामाजिक स्रोत पर भाषा प्रयोग के स्तर भी भिन्न-भिन्न होते हैं। साथ ही श्रोता के साथ हमारा पारस्परिक संबंध भी हमारे भाषा व्यवहार में विविधता ले आता है । इस प्रकार सामाजिक संदर्भ में भाषा विषम रूपी होती है।
प्रकाशित
2024-07-19
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डॉ सीमा रानी. (2024). भाषा और समाजिक संबंध. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 72(2), 65–67. https://doi.org/10.8224/journaloi.v72i2.136
अंक
खंड
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