पंजाबी लोक संगीत पर बदलती परिस्थितियों के प्रभाव का अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i4.967Abstract
लोक संगीत उतना ही पुराना माना जाता है, जितना कि मनुष्य का अस्तित्व। जहाँ आम लोग अपने मनोरंजन और भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए संगीत को प्रमुखता देते थे, वहीं भारतीय दर्शन में संगीत को ईश्वर प्राप्ति का एक साधन भी माना गया है। आरंभ में ईश्वर प्राप्ति के साधन के रूप में प्रयुक्त संगीत संभवतः लोक संगीत ही रहा होगा। बाद में संगीत को लिपिबद्ध किया गया और फलस्वरूप भारतीय संगीत का सैद्धांतिक स्वरूप सामने आया। लोक संगीत मानवीय संवेदनाओं का स्वतःस्फूर्त रूपांतरण है। किसी भी राष्ट्र की संस्कृति उस राष्ट्र के लोक साहित्य और लोक कलाओं में सन्निहित होती है। लोक संगीत किसी क्षेत्र विशेष की आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक स्थिति को प्रकट करता है। वस्तुतः ये परिस्थितियाँ ही लोकसंगीत की प्रकृति और दिशा निर्धारित करती हैं। इन परिस्थितियों के बदलने पर लोकसंगीत की दिशा भी बदल जाती है। प्रस्तुत शोध पत्र में हम पंजाब की निरंतर बदलती परिस्थितियों के प्रभाव में पंजाबी लोकसंगीत में आए परिवर्तनों का अध्ययन किया गया है।



