पतंजलि योग के साधना सिद्धांतों का व्यावहारिक महत्व
DOI:
https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i3.561Abstract
साधना क्षेत्र में योग का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। भारत की ऋषि संस्कृति में प्राचीनकाल से ही मानव के आध्यात्मिक विकास के लिए विभिन्न योग विधियों की खोज की गई और उन्हें साधना लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रयुक्त किया गया है। इन विधियों में हठयोग, ज्ञानयोग, राजयोग, भक्तियोग, कर्मयोग, तंत्रयोग, मंत्रयोग, लययोग आदि अनेक योग प्रणालियों की परम्परायें प्राप्त होती है। इन विधाओं में राजयोग के रूप में महर्षि पतंजलि के योग का महत्व और प्रचलन सर्वाधिक व्यापक दिखाई पड़ता है। इसकी व्यापकता का मूल कारण है सैद्धांतिक पहलुओं की व्यावहारिकता और उपादेयता है।
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Published
2000
How to Cite
रवि शंकर नेवार, डॉ. रामदेवा राम आलडिया. (2025). पतंजलि योग के साधना सिद्धांतों का व्यावहारिक महत्व. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(3), 1574–1578. https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i3.561
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Articles