महिलाओं की प्रस्थिति एवं भूमिका में परिवर्तन

Authors

  • डाॅ. योगमाया उपाध्याय

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v70i2.460

Abstract

19 वीं शताब्दी से ही महिलाओं की भूमिका और उनकी प्रस्थिति को सीमित करने वाली सामाजिक अश्रमताओं के विरोध में कानून बनने का आरंभ हुए। स्वतंत्रता के पश्चात् न्याय, स्वतंत्रता समानता को बढ़ावा देने की सवैधानिक प्रतिबद्धता हुई। स्वतंत्रता के पश्चात् कई प्रकार के ऐसे कानून लागू किए गए जो सामाजिक जीवन से संबंधित संवैधानिक संस्थाओं के सिद्धांतो को लागू करने के प्रयास भी विवाह एवं विरासत से सम्बधित कानूनों में सुधार, श्रम कानूनों में मानवीय स्थितियों को सुधारने के कानून, प्रभाव से संबंधित लाभ एवं श्रमिकों के कल्याण हेतु बनाई गई योजनाएॅं ऐसे कार्यक्रम थे जिनका उद्देश्य महिलाओं की निम्न स्थिति में योगदान देने वाली अश्रमताओं को समाप्त करना था।

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Published

2000

How to Cite

डाॅ. योगमाया उपाध्याय. (2024). महिलाओं की प्रस्थिति एवं भूमिका में परिवर्तन. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 70(2), 134–138. https://doi.org/10.8224/journaloi.v70i2.460

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