संगीत , अध्यात्म और योग का पारस्परिक सम्बन्ध

Authors

  • तनुश्री कश्यप डाॅ. अम्बिका कश्यप

Abstract

 

संसार की समस्त ललित कलाओं में संगीत को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है क्योंकि संगीत ही एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा मनुष्य लौकिक तथा पारलौकिक सुख तथा शांति की अनुभूति कर सकता है। मन के भावों को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करने की शक्ति जिन अंशों में मनुष्य को प्राप्त ह,ै उतनी अन्य किसी भी प्राणी को नहीं। संगीत में उस प्रदर्शन को रोचक एवं मनोरंजन बना देने की देवीय प्रतिभा है। मानव जन साधारण परिस्थितियों के अनुरूप भाव प्रदर्शन करता है जिसका आधार आंतरिक अनुभूति होती है। इसका परिणाम यह होता है कि मनुष्य अपनी सामान्य दशा से उपराम होकर आवेश में आ जाता है। संगीत की यह विशेषता है कि वह मनुष्य को उसकी सामान्य दशा में लाकर अतीत की आवेशमयी कृतियों की अनुभूति कराता है ।

Published

2000

How to Cite

तनुश्री कश्यप डाॅ. अम्बिका कश्यप. (2024). संगीत , अध्यात्म और योग का पारस्परिक सम्बन्ध. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(1), 104–111. Retrieved from https://journaloi.com/index.php/JOI/article/view/165

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