बहुआयामी जलवायु संकट

Authors

  • सुशीला कुमारी जाँगिड़ बसन्ती लाल जाँगिड़

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i2.97

Abstract


जलवायु किसी राष्ट्र विशेष के रहन-सहन, खान-पान, कृषि अर्थव्यवस्था आदि के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वर्तमान में भारत सहित सम्पूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से जूझ रहा हैं। पर्यावरण में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं। जैसे तापमान में बढ़ोतरी, वर्षा में कमी, हवाओं की दिशा में परिवर्तन। अतः हम एक बहुआयामी जलवायु संकट का समाना कर रहे हैं। यह एक जटिल समस्या है जिसके लिए तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है। वर्ष 2021 के ॅण्भ्ण्व्ण् के स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक गम्भीर खतरा है। विशेष रूप से सवेंदनशील आबादी के लिए ॅण्भ्ण्व्ण् का अनुमान है कि वर्ष 2030 और 2050 के बीच जलवायु परिवर्तन के कारण कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और हीट स्ट्रेस के प्रभाव से प्रतिवर्ष लगभग 250000 अतिरिक्त मौतें होंगी।

Published

2000

How to Cite

सुशीला कुमारी जाँगिड़ बसन्ती लाल जाँगिड़. (2024). बहुआयामी जलवायु संकट. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(2), 101–104. https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i2.97

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