पाश्चात्य संगीत का भारतीय युवाओं पर प्रभाव

Authors

  • डॉ.नीतू वर्मा and सुरेश कुमार दुग्गल

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v69i2.956

Abstract

 

 

यह शोध अध्ययन भारतीय युवाओं पर पाश्चात्य संगीत के सामाजिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। वैश्वीकरण और डिजिटल मीडिया के युग में पश्चिमी संगीत भारतीय समाज में तेजी से लोकप्रिय हुआ है, विशेषकर शहरी युवाओं के बीच। यह अध्ययन यह समझने का प्रयास करता है कि पाश्चात्य संगीत कैसे युवाओं की जीवनशैली, पहनावे, भाषा, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को प्रभावित कर रहा है। साथ ही, यह शोध यह भी जांचता है कि क्या इस प्रभाव से पारंपरिक भारतीय संगीत और सांस्कृतिक मूल्यों की उपेक्षा हो रही है या दोनों के बीच एक नई सांस्कृतिक समन्वय प्रक्रिया उभर रही है। अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकलता है कि पाश्चात्य संगीत भारतीय युवाओं में आधुनिकता और वैश्विक दृष्टिकोण की भावना को सशक्त बनाते हुए सांस्कृतिक विविधता को नए आयाम प्रदान कर रहा है।

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Published

2000

How to Cite

डॉ.नीतू वर्मा and सुरेश कुमार दुग्गल. (2025). पाश्चात्य संगीत का भारतीय युवाओं पर प्रभाव. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 69(2), 81–89. https://doi.org/10.8224/journaloi.v69i2.956

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