डाॅ. नगेन्द्र की आलोचना में प्रगतिशील मूल्य
DOI:
https://doi.org/10.8224/journaloi.v74i1.936Keywords:
प्रगतिशील, मूल्य, आलोचना युगानुकूल, परिमार्जन प्रस्तुतीकरण, मानवीय जागरुकता, संवेदनशीलता, व्याप्ति, सौंदर्य आनन्दAbstract
डाॅ. नगेन्द्र ने अंग्रेजी साहित्य के संस्कारों को आत्मसात् करके हिन्दी साहित्य में साहित्य का कार्य प्रारम्भ करके आलोचना के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। इसलिए साहित्य के संबंध में डा. नगेन्द्र जिनकी मूल धारणाओं का मूल आधार अंग्रेजी साहित्य के कवियों और आलोचकों की मान्यताओं से प्रेरित है। उन्होंने उच्चत्तर हिंदी अध्ययन शोध कार्य एवं समीक्षा के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी, विद्वता के प्रतिमान हैं। संस्कृत के आचार्याें में भट्टनायक और अभिनव गुप्त से हिंदी में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल से विशेष रुप से प्रभावित हुए। प्रायः सभी काव्य दृष्टियों के समन्वित प्रभाव के आधार पर विकसित और सुसस्ंकृत करते रहने के बावजूद डाॅ. नगेन्द्र रस सिद्वांत के प्रति अपनी आस्था था में अपराजेय रहे हैं। डाॅ. नगेन्द्र पश्चिमी अवधारणाओं से अधिक प्रभावित रहे परन्तु भारतीय जीवन मूल्यों के अनुरुप ही ढलकर आत्मसात् किया।