रामपुर जनपद में नगरीय अधिवासों और उनकी जनसंख्या की समस्याओं का विष्लेषण

Authors

  • 1. डा० श्याम सिंह , 2. रविचन्द्र

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v74i3.923

Keywords:

अधिवास, नगर, कृषि, आर्थिक क्षमता, मलिन बस्ती, रैम्प, अतिक्रमण, सीवेज ट्रीटमेंट

Abstract

आज किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध उसकी मानव जनसंख्या को सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। वास्तव में किसी क्षेत्र में उपलब्ध सुषिक्षित व दक्ष मानव जनसंख्या ही वह प्राथमिक आधारभूत तत्व व संसाधन है जो उस क्षेत्र में स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों- भूमि, जल, जलवायु, भूगर्भ में संचित खनिजों के साथ ही अन्य निकस्थ-दूरस्त क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों को कच्चे व तैयार माल के रूप में आयातोपरान्त अपने लिए उपयोगी बनाकर उनसे ऐसी वस्तुऐं व मषीनें बनाता है जो स्थानीय जनसंख्या के साथ-साथ विष्वभर की जनसंख्या को अनेक प्रकार की उपभोक्ता और पूँजीगत वस्तुएं मषीनें, उपकरण इत्यादि उपलब्ध कराता है। इसलिए सभी प्रकार के अध्ययनों में मानव जनसंख्या (मानव संसाधन) को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। निवास स्थलों के आधार पर विष्वभर में सभी प्रकार के मानव संसाधन को दो प्रमुख वर्गों- 1. ग्रामीण और 2. नगरीय अधिवासों में विभक्त किया जाता है। प्रस्तुत षोध पत्र में इसी परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेष राज्य के रामपुर जनपद की नगरीय जनसंख्या का भौागेलिक विष्लेषण किया गया है।

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Published

2000

How to Cite

1. डा० श्याम सिंह , 2. रविचन्द्र. (2025). रामपुर जनपद में नगरीय अधिवासों और उनकी जनसंख्या की समस्याओं का विष्लेषण. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 74(3), 91–109. https://doi.org/10.8224/journaloi.v74i3.923

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