मुगलकालीन भारत में धार्मिक समन्वय: अकबर का दीन-ए-इलाही और सुलह - ए - कुल
Abstract
अकबर का शासन भारतीय इतिहास में धार्मिक समन्वय का एक महत्वपूर्ण अध्याय रहा है। यउसकी नीतियाँ, जैसे दीन-ए-इलाही और सुलह - ए - कुल, धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता की दिशा में उसके प्रयासों को दर्शाती हैं। दीन-ए-इलाही एक धार्मिक विचारधारा थी, जिसमें अकबर ने विभिन्न धर्मों के सकारात्मक तत्वों को एकत्र किया, जैसे हिंदू, मुस्लिम, जैन और पारसी। वहीं, सुलह - ए - कुल का सिद्धांत सभी धर्मों के बीच शांति और सहमति बनाए रखने का था। अकबर ने इन नीतियों को अपने शासन में लागू किया, जिससे उन्होंने धार्मिक विविधता के बावजूद साम्राज्य में एकता और स्थिरता को बढ़ावा दिया। इन नीतियों का उद्देश्य भारतीय समाज में धार्मिक समुदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना और एक सामूहिक शांति की स्थापना करना था। अकबर का यह धार्मिक दृष्टिकोण भारतीय राजनीति और समाज में सद्भाव की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।