बघेलखण्ड की लोक सांस्कृतिक परम्पराओं का अध्ययन

Authors

  • राघवेन्द्र सिंह 1, डॉ. विक्रम सिंह बघेल 2

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i3.267

Keywords:

बघेलखण्ड, लोक संस्कृति, जीवनशैली, रीति-रिवाज़, नृत्य-संगीत

Abstract

बघेलखंड की लोक संस्कृति में स्थानीय जीवनशैली का अद्भुत प्रतिबिम्ब मिलता है। यहां के लोग अपने विशेष रीति-रिवाज़, परंपरागत भोजन, उत्सव और नृत्य-संगीत के माध्यम से अपनी परंपराओं को जीवंत रखते हैं। बघेलखंड के लोक गाने, जूते और वाद्ययंत्रों की ध्वनि में विशेषता हैं, जो समृद्ध और विविध हैं। यहां की लोक कथाएँ, जैसे कि 'भोजगीत', 'रामायणी', और 'महाभारती', इस क्षेत्र के साहित्यिक धरोहर को दर्शाती हैं। बघेलखंड की लोक संस्कृति न केवल कला और संगीत में निहित है, बल्कि इसकी व्यवहारिक जीवनशैली भी अद्वितीय है। यहां की लोक वस्त्र और भूषण शैलियां, जैसे कि 'कछहरिया' और 'लामड़ा' आदि, भी इस क्षेत्र की विविधता को दर्शाती हैं। बघेलखंड में खेती और पशुपालन की परंपरा भी गहरी है, और इसके कृषि और ग्रामीण जीवन का अपना अनौपचारिक चारित्र है। बघेलखंड की लोक संस्कृति का ऐतिहासिक अनुशीलन करते समय, हमें इसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का भी विचार करना चाहिए। इस क्षेत्र के इतिहास में गुप्त सम्राटों से लेकर मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश शासन तक कई संस्कृतिक प्रभाव और परिवर्तन आए हैं। यहां की लोक संस्कृति ने इन परिवर्तनों का सामना किया है और अपनी अनूठी पहचान बनाई है। बघेलखंड की लोक संस्कृति के रंग-रूप और उसकी अनूठी परंपराएं आज भी आधुनिक जीवन में दीप्ति और समृद्धि लाती हैं। इसे संरक्षित रखने और उसके मूल्यों को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा कई पहलू उठाए गए हैं। इन पहलों का उद्देश्य बघेलखंड की विरासत को नवीनीकरण के साथ संरक्षित रखना है, ताकि ये संस्कृति की अमूल्यता को आगे बढ़ा सकें।

Published

2000

How to Cite

राघवेन्द्र सिंह 1, डॉ. विक्रम सिंह बघेल 2. (2024). बघेलखण्ड की लोक सांस्कृतिक परम्पराओं का अध्ययन. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(3), 713–724. https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i3.267

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