महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत छात्राध्यापकों की जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूकता:एक समीक्षा

Authors

  • सीमा रानी and छवि दिवाकर

Abstract

यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड पापुलेशन प्रोस्पेक्ट्स के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत चीन को पीछे छोड़कर जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। भारत की जनसंख्या अमेरिका जो दुनिया की तीसरी सबसे अधिक आबादी का घर है से चार गुना अधिक है। यूनाइटेड वर्ल्ड पापुलेशन प्रोस्पेक्ट्स, 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जनसंख्या 145 करोड़ होने का अनुमान है। जो कि वर्ष 2050 तक 1.7 अरब तक पहुंचने के लिए तैयार है। जनसंख्या वृद्धि पर संयम अथवा नियंत्रण लगाने की दृष्टि से महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि ’’भारत जैसे क्षुदा पीड़ित देश में इतने बच्चों को जन्म देना जिसका समुचित पालन पोषण नहीं किया जा सकता है निर्दयता पूर्वक अपराध है।’’ इसलिए जब तक देश का प्रत्येक नागरिक जनसंख्या परिदृश्य के बारे में जागरूक नहीं होगा तब तक जनसंख्या वृद्धि की इस गति को कम करना अत्यंत कठिन होगा। प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करना होगा कि अधिकांश समस्याएं जैसे खाद्य सामग्री की समस्या, आवास की समस्या, वस्त्र आपूर्ति की समस्या, बेरोजगारी, भुखमरी, निर्धनता, निरक्षरता, पर्यावरण प्रदूषण, मूल्यों में गिरावट, गुणवत्तापूर्ण जीवन का अभाव, स्वास्थ्य तथा चिकित्सा संबंधी सेवाओं की समस्यां, सार्वभौमिक तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव आदि अनेक समस्याएं तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या का ही परिणाम है। जनसंख्या शिक्षा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उत्पन्न समस्याओं का समाधान करती है। जनसंख्या शिक्षा वर्तमान समाज की आवश्यकता है।इसलिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति को जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूक कर उनमेंउचित दृष्टिकोण को विकसित किया जाए और इस निरंतर बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण स्थापित किया जाए।अतः प्रस्तुत पत्र में महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत छात्राध्यापकों की जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूकता के संदर्भ में पूर्व में किए गए अध्ययनों का समीक्षात्मक वर्णन करने का प्रयास किया गया है।

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Published

2000

How to Cite

सीमा रानी and छवि दिवाकर. (2024). महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत छात्राध्यापकों की जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूकता:एक समीक्षा. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(3), 300–309. Retrieved from https://journaloi.com/index.php/JOI/article/view/221

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