‘‘उच्चत्तर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर योगशिक्षा के प्रभाव का अध्ययन’’

Authors

  • डाॅ. प्राची अनर्थ

Abstract

 

शिक्षा सीखना नहीं वरन मस्तिक की शक्तियों का अभ्यास है मस्तिष्क स्वास्थ्य को सुरक्षित व विकसित करने हेतु प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ्य जीवन की कला में विकसित होना आवश्यक कहा भी गया है। स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मस्तिस्क निवास होता है। अतः मस्तिस्क का स्वाभाविक विकास सही ढ़ंग से हो उसके लिए शरीर के प्रत्येक अंग का सुचारू से विकास आवश्यक है और शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ्य रखने के लिए नियमित रत से संतुलित भोजन के साथ शारीरिक गतिविधियों में व्यायाम व कसरत के साथ योग भी आवश्यक है योग शिक्षा सही अर्थाें मे जीवन जीने की कला शिक्षा है। आधुनिक युग में आज प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ्य जीवन जीने की आशा रखता है और अनेक अनुसंधानों में योग शिक्षा व मानसिक स्वास्थ्य के अनुरूप शोधमें योग के महत्व को उजागर किया है। श्रीमती विनीता शर्मा (2010) ने आधुनिक शिक्षा मे योग की प्रासंगिकता का अध्ययन किया और पाया योगाभ्यास के द्वारा बालकों की मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होती है और उनकी शैक्षिक उपलब्धि में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी प्रकार योगेन्द्र सिंह (2022) ने उच्चतर माध्यमिक स्तर के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर योग शिक्षा के प्रभाव का अध्ययन किया और पाया कि शासकीय व अशासकीय विद्यालय के विद्यार्थियों मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षा के प्रभाव में सार्थक अंतर पाया जबकि छात्र एवं छात्राओं में (लिंग के आधार पर) सार्थक अंतर नहीं पाया गया। अर्थात मानसिक स्वास्थ्य योग व व्यायाम से विकसित व स्वास्थ्य एकाग्र होते है। अतः मानसिक स्वास्थ्य को जानना भी आवश्यक है।

Published

2000

How to Cite

डाॅ. प्राची अनर्थ. (2024). ‘‘उच्चत्तर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर योगशिक्षा के प्रभाव का अध्ययन’’. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(2), 547–560. Retrieved from https://journaloi.com/index.php/JOI/article/view/167

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