पर्यावरणीय समस्या:एक ऐतिहासिक एवं दार्शनिक परिप्रेक्ष्य

Authors

  • डाॅ0 लाला बाबू

DOI:

https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i2.131

Abstract

 

‘‘मनुष्य एक पर्यावरण में जन्म लेता है, उसमें बढ़ता है और प्रौढ़ होता है, उसका सम्पूर्ण शरीर और उसके जीवन की रचना आदि सब कुछ पर्यावरण की ही देन है।‘‘ - मैकाइवर1
प्रकृति और मनुष्य का संबंध आदिकालीन है। पर्यावरण और जीवन की अभिन्नता से सभी परिचित हैं। पर्यावरण की स्वच्छता, निर्मलता और संतुलन से ही संसार को बचाया जा सकता है। कोई भी कविता, कहानी इस प्रकृति के बिना संभव नहीं है। प्रकृति ही जीवन का आधार है। 2

Published

2000

How to Cite

डाॅ0 लाला बाबू. (2024). पर्यावरणीय समस्या:एक ऐतिहासिक एवं दार्शनिक परिप्रेक्ष्य. Journal of the Oriental Institute, ISSN:0030-5324 UGC CARE Group 1, 73(2), 305–317. https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i2.131

Issue

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Articles